सागौन का वृक्षारोपण कहा पर करना ज्यादा फायदेमंद रहेगा? ( Site Selection)
अगर आपके पास जमीन ज्यादा है तो आप कुछ जमीन पर ये वृक्षारोपण कर के उस जमीन मे फसलों मे होने वाली महेनत हो दुसरी जमीन की फसलों मे लगा सकते है जिससे आप वृक्षारोपण वाली जमीन की मावजत से निश्चिंत हो जाते है, या कम ध्यान देना पडता है। मगर आपके पास जमीन कम है तो मै अपको खेत के चारों तरफ ही इसको लगाने की सलाह दूंगा, क्योकी यहा आपकी 10 से 12 साल की फसलों से पैदा होने वाली कमाई के उपर असर पडता है। या कोई बंजर या जिस पर आप ज्यादा ध्यान नही दे रहे वैसी जमीन पर ये खेती करे। किसान ये निर्णय बिल्कूल नाप तोल कर ले क्योकि आखिर मे खुद की आर्थिक परिस्थिती को खुद से बहतर कोई नही जानता, मतलब सलाह सभी से ले मगर निर्णय खुद ही ले!!!
सागौन के plantation के बारे मे सम्पुर्ण जानकारी वीडियो के माध्यम से जानने के लिये निचे दिये वीडियो को देखे।
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तैयारियाँ (Preparation)
जमीन की पसंदगी और आपक़के निर्णय लेने के बाद ये बाते अवश्य ध्यान मे ले।
जमीन गहरी, अच्छे limestone के नितार वाली, लाल मिट्टी, काली मिट्टी, दो रंगी मिट्टी वाली होनी चाहिये, जिसमे बालू/ रेत की मात्रा कम हो । सुखी जमीन या ऐसिडिक जमीन जिसमे pH की मात्रा 6.0 से कम हो वहा ये लगना सही नही है। जमीन की सही pH मात्रा 6.5 से 7.5 है जिसमे पेड़ो का अच्छा विकास होता है।
सागौन के पेड़ो के विकास के लिये जरूरी तत्व (Substance required)
रिसर्च मे ये पाया गया है की सागौन के पौधोंके विकास के लिये Calsium की अधिक से अधिक मात्रा की जरुरत होती है, उसके उपरांत जरूरी तत्व NPK - Nitrogen, Potassium, Phosphorus और Organic matter है।
* पानी की सुविधा के बारे मे अवश्य मंथन करे।
* जमीन मे ज्यादा रेत- बालू तो नही है, या जमीन वैसी तो नही के जिसमे पानी तिकटा ना हो।
* खेत मे कोई High tension electricity line तो नही जा रही है, अगर है तो उसके निचे plantation मत करे, या उतना भाग छोडकर करे।
* असामाजिक तत्वो से कोई नुकसान तो नही होगा ये भी परख ले।
जमीन की तैयारी (Preparation of soil)
* मई महिने मे गड्डे खोद ले और उसे तपने दे। गड्डे का नाप 2 फीट गहरा और 2 फीट चौड़ा रखे।
* गड्डो को गोबर का काला खाद और काली मिट्टी से भर दे और पहली बारिश का इन्तजार करे।
* DAP फर्टिलाइजर को पौधे लगाने है उसी दिन लगाने से पहले गड्डो मे मिला ले।
Tissue culture पौधो की खरीद (Buying of plants/ Initial investment)
ये बहुत ही जरूरी कदम है, यहा पर आपकी सही पसंद और पहचान ही आपके पैसो को सुरक्षित रखती है, क्योकि आज कल बाज़ार मे बहुत सी कंपनीया और नर्सरी वालो ने Tissue Culture के नाम से लूट मचा रखी है। यहा पर आप ने ढील बरती तो महेनत बेकार भी जा सकती है, या आपको tissue culture के नाम पर देसी सागौन थमा दिया जाता है, इसलिये certified company से ही bill के साथ ही खरीद करे। और replacement की भी शर्त रखे क्योकि पौधे लगाने के बाद जो पौधे मर जाते है उसकी बदली मे आपको उतने पौधे 2 महिने के अन्दर ही आपको देने होते है, ये ज्यादातर कंपनीया ऐसा करती है, मगर जो लोग आम नर्सरी वाले होते है वो replacement की कोई शर्त नही रखते है।
पौधो को खरीद ने के बाद उसे 6 से 7 दिन आपके मौसम मे ढलने के लिये रखे, उस दौरान नियमित रूप से पानी देते रहे।
पौधे को कैसे पहचाने की यह Tissue culture ही है?
(How to recognize whether it is Tissue culture plant or not ?)
आज कल बाज़ार मे दो तरीके के पौधे मिलते है, Tissue culture और Root stump से बने पौधे, जिसके विकास मे ज्यादा अन्तर नही है मगर ये जानना जरूरी है क्योकि आप प्रारन्भिक निवेश करने जा रहे है तब आप गलत पौधे की दुगनी किमत चूका तो नही रहे ये जाँच करना बेहद जरूरी है।
ये सवाल बहुत बार पुछा जाता है, इसके लिये तीन बातो का ही ध्यान देना है, (1) आप cerified और विश्वसनीय कंपनी से ही खरीदे ताकी धोकाधडी होने ही सम्भावना ही ना रहे, और जो भविष्य मे भी आपको support दे। (2) पौधे को ध्यान से देखने पर फोटो मे दिखाये अनुसार ये पौधा एक stick के साइड से अंकुरित होकर के तैयार हुआ होता है, जो इसकी सबसे बडी पहचान है, मगर ध्यान रहे ये स्टिक पतली होती है, जो बहुत सारे पौधो को एक गुच्छे से जब अलग किया जाता है तब कुछ इस तरीके का पौधा बनता है, ये अनुभव से पता चलता है, और हाँ, जो पौधा root stump से तैयार हुआ होता है, उसकी stick मोटी होती है, जो बिल्कूल साफ साफ दिखता है, और पहचानना भी आसान है, (3) पौधे की stick और अंकुरित भाग के पत्ते को दोनो को अलग अलग मसलने से एक जैसा ही लाल रंग निकलता है, वैसे तो सभी सागौन के पत्तो को मसलने से लाल रंग ही निकलता है मगर ध्यान से देखने पर ये अन्तर मालूम पडेगा।
Root stump के द्वारा तैयार किये पौधों का विकास भी अच्छा होता है, और ये Tissue culture पौधों के काफी सस्ते भी मिलते है, ये किसान के उपर निर्भर है की वो कितना पैसा प्राथमिक तौर पर लगा सकता है।
और कोई प्रकार जिससे tissue culture पौधें और सामान्य पौधे को पहचान सकते है अगर किसी को पता है तो कृपया comment करके हमे जरूर बताएं ।
वीडियो लिँक
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पौधे लगाने का तरीका (Method of planting)
* पौधे लगाने का सही समय जून- जुलाई का होता है, पहली बारिश मे जमीन की उपरी सतह मे पानी की मात्रा हो जाती है उसके बाद दुसरी बारिश मे पौधो को आराम से पॉलिथीन को काट कर तसल्ली से गड्डो मे रख कर चारो तरफ मिट्टी लगा दे, और पानी दे, लगाने से पहले आप DAP खाद भी गड्डो मे डाल सकते है। दो पौधो की बीच की दूरी 10 फीट से ज्यादा ही रखे क्योकि जितना अन्तर ज्यादा उतना पेड़ो का विकास ज्यादा, क्योकि बहुत से किसानो को plantation के बाद ये समस्या होती है की उनके पेड़ो का विकास सही से नही हो पा रहा होता है, उनका सबसे पहला कारण यही होता है की उन्होने डो पेड़ो की बीच की दूरी बहुत कम रखा होता है, और वो पेड़ पतले रह जाते है, चाहे जितना भी खाद डालो लेकिन पेड़ नजदीक होने के कारण उनका विकास नही हो पाता है।
सिंचाई (Irrigation)
सबसे अच्छा परिणाम पाने के लिये मै आपको Drip irrigation पध्धर्ति का इस्तेमाल करने की सलाह दूंगा, क्योकि ये एक बार शुरूआतमे पैसा खर्च होगा लेकिन हर बार परम्परागत तरीके से पानी लगाने से छुटकारा मिल जायेगा। अगर शुरुआत मे पैसे नही लगना चाहते तो आप परम्परागत तरीका अपनाकर सिंचाई करे,
अगर आप Drip irrigation से सिंचाई करते है तो पहले साल हर 5 से 6 दिन मे सिंचाई करे और बाद मे 15 से 20 मे सिंचाई करते रहे।
परम्परागत तरीके से सिंचाई करने मे पहले एक साल तो आप पानी की कमी ना होने दे बाद मे आप 15 से 20 दिन मे पानी देते रहे।
गर्मियो मे अगर पानी की की कमी हुई तो दीमक लग सकती है और पौधे सुख सकते है, इसका हमेशा ध्यान रखना चाहिये।
निन्दामण/ फालतु घास (Weed)
पहले दो साल तक plantation मे घास के फैलने पर नियन्त्रण रखना होगा, इसके लिये manual या weedicide का भी आप इस्तेमाल कर सकते है, अगर आप intercropping/ आंत्रफसल करते है तो ये खेत या plantation वाली जगह अपने आप ही साफ होती रहेगी। 3 साल के बाद पौधें बड़े होने से छाया हो जाने से ये फालतु घास नही होगी और ये समस्या अपने आप ही दूर हो जायेगी।
Intermediate cropping/ आंतरिक फसल
पहले दो साल आप कोई भी फसल आंतरिक फसल के तौर पर कर सकते है, उसके बाद जब पेड़ थोडे बड़े हो जाते है तो उसकी छाया बाकी फसल को असर करती है, मगर यहा पर मै ये नही कहूंगा की आप दो साल के बाद आंतरिक फसल मत ले, बल्कि आप जब तक पेड़ कटने लायक नही होते तब तक आप आन्तरिक फसल ले सकते है, जिसके लिये बस थोडा ये बाते ध्यान रखनी होगी।
* नियमित रूप से छटाई/ pruning करते रहे और जमीन पर सूर्यप्रकाश पड़े ऐसा करे।
* जो भी फसल ले उसको डोली बनकर उसके उपर फसल ले जिससे जो पेड़ो के पत्ते गिरेंगे वो फसल को ढकन्गे नही।
* अगर हो सके तो पत्तो को बाहर निकाल कर compost खाद के लिये इस्तेमाल करे जिससे खेत भी साफ रहेगा।
* आप Ginger, Garlic, Turmeric, Onion, Marigold जैसी फसलें या सब्जियां करे जो छाया मे भी अच्छी तरह होती है।
खाद (Furtilizer)
वसे तो सागौन की खेती मे ज्यादा कोई खाद डालने की जरूरत तो नही है, गोबर का काला खाद आप समय समय पर साल मे दो बार पेड़ के चारों तरफ खुदाई करके डाल सकते है, जिससे व्रिध्धी दर बढ़ता है। अगर आप Chemicl fertilizer मे विश्वास रखते है या इस्तेमाल करना चाहते है तो निम्नलिखित सारणी से खाद दे सकते है। ( ज्यादा केमिकल वाले खाद के इस्तेमाल से जमीन खराब होती है।)
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छटाई (Pruning)
सागौन की खेती मे छटाई बेहद जरूरी भूमिका रखती है, जिससे हम पेड़ो की लम्बाई और मोटाई को कुछ हद तक नियन्त्रित कर सकते है। छटाई नियमित रूप से करनी चाहिये, जिससे बीनजरूरी ड़ालिया ना रहे और एक सीधा तना मिल पाये, छटाई 20 फीट तक करे, उसके बाद छटाई रोक दे, जिससे पेड़ के उपर वजन होने से थड की मोटाई बढती है, छटाई के लिये इस्तेमाल होने वाले औजार और तरीका नीचे उपर video मे समजाया गया है।
छटाई मे इस्तेमाल करने लायक औजार (Tool for pruning)
किट नियन्त्रण (Pest control)
मै प्राकृतिक खेती को सबसे अच्छा मनता हुँ इसलिये मै आपको किट नियन्त्रण हेतु ऑर्गेनिक और बिन ऑर्गेनिक दोनो तरीका बताऊंगा।
पहले ये समझ लेते है की सागौन की खेती मे कौन कौन से किट संबंधी समस्याए आती है और उनके इलाज भी देख लेते है।
(1) नये पत्ते जालीदार बनकर सुख जाते है या पत्तो मे गांठे बन जाती है या पत्ते brown हो जाते है।
ये रोग Fungal and bacterial pathogens के कारण होता है, जिसमे पौधा सुख भी सकता है।
ये अन्य पौधे मे ना फैले इसलिये संक्रमित पौधे के तुरंत हटा देना चाहिये या Dithane M-45 (0.1%) का स्प्रे करके नियन्त्रण मे ला सकते है।
(2) तना बहुत सख्त और बाकी स्वस्थ सागौन से काला दिखता है, और विकास कम हो जाता है।
(3) चोटी के नये उग रहे छोटे छोटे पत्ते के उपर किट के कारण विकास रुक जाता है।
(4) Root Rot रोग के करण खड़ा पेड़ सुख जाता है, ये एक से अधिक पेड़ो मे भी एक साथ भी हो सकता है।
यह रोग Rigidoporus lignosus (Klotzsch) Imazeki, sporocarps के करण होता है, जो संक्रमित पौधों के 64% हिस्से में पाया गया है। छिछले जमीन के इलाके जहा जल निकासी कम होती हो, और लाल मिट्टी में रोग का प्रकोप अधिक होता है। संक्रमित पेड़ों पर 2% Tillex chemical स्प्रे का उपयोग करके रोग को नियंत्रित किया जा सकता है। जब plantation करते है तब जमीन तैयार करते वक़्त जो लकड़ी के ठूंठे जमीन मे छुट जाते है उसको भी चुन ले, ये करके यह रोग काफी हद तक कम किया जा सकता है।
ऑर्गेनिक कीटनाशक (Organic pesticide)
ये तरीका धीमा लेकिन काफी असरकारक है, और बिल्कूल मुफ्त मे आप किटको का नियंत्रण कर सकते है।
इस तरीके से बने कीटनाशक से आप Regular pests, Occasional pests, Seasonal pest एवं Sporadic pests से नियन्त्रण पा सकते है। तथा ये प्रकृति को कोई नुकसान भी नही पहुचाता ।
कीटनाशक बनाने की विधि (Method for making of organic pesticide)
एक बरतन मे नीम के फल के बीज ( अगर बीज ना मिले तो हरे पत्ते), अर्डूसी के हरे पत्ते, सीताफली के हरे पत्ते, सफेदे के पेड़ के पत्ते, धतूरे के पत्ते, तुलसी और डमरे को देसी गाय के गौमूत्र व छाछ मे 4-5 दिन तक डूबा कर रखे, पूरी तरह उबालकर छान ले, ये अर्क अब उपरोक्त किटको के नियन्त्रण के लिये पूरी तरह तैयार है। ये सभी चीजो का नाप कोई निस्चित नही है, ये आप अपने हिसाब से कर सकते है।