Wednesday 6 January 2021

 

Teak Tree Plantation- Introduction

 



Teak Plantation in India

नमस्कार किसान मित्रों,

Teak plantation / सागौन की खेती के इस विषेश ब्लोग मे मै अल्पेश पटेल आपका स्वागत करता हूँ ।

आशा करता हुँ की आप सभी मेरी खेती और वृक्षारोपण सम्बधीत वीडियों नियमित रूप से देखते होंगे, अगर आप इस ब्लोग या इसके विषय मे नये है तो आप निश्चिंत रहिये, यहा पर आपको आपके सभी सवालो के जवाब जरूर मिलेंगे।

   सागौन एक इमारती लकडी देने वाला पेड़ है, इसकी लकडी बेहद खूबसूरत धारीदार लाल और पीले रंग की होती है, मजबूती मे इसका जवाब नही है, तभी तो कोई भी व्यक्ति अपना नये घर मे फर्नीचर या दरवाजे बनाने के वक़्त सागौन के बारे मे जरूर सोचता है, हा ये बात अलग है की आज कल इसके बहुत से पर्याय बाज़ार मे उपलब्ध है जैसे की Playwood, PVC readymade sheets, Plastics 3D sheets आदि। मगर आज भी सागौन की मजबूती, सुन्दरता और टिकाऊपन के आगे ये सभी पर्याय बौने साबित होते है।

   इस ब्लोग मे मैने उन सभी तथ्यो और सवाल - जवाबो को सामिल किया है जो एक किसान को इसकी खेती करते वक़्त जानना जरूरी होता है या फिर मनमे सवाल पैदा होते है। हाँ, मै इस जानकारी को सिस्त्बध्ध रुपसे आपके सामने रख रहा हूं जिससे समजने मे आसानी हो।


रूपरेखा (Profile)

Scientific name: Tectona grandis

Higher classification: Tectona

Family: Lamiaceae

Order: Lamiales

Kingdom: Plantae

Rank: Species




Important links for our videos and blog.

(1) Complete information about Teak Plantation in India 

(2) Contact details of sellers and buyers of teak plant and tree

(3) Difference between Tissue culture and Root stump teak plant and method of Tissue culture 


Our YouTube channel link:-

MoX - YouTube

Our website:-

www.moxcreations.in


Thanks for visiting our blog.

Our Plantation in Gujarat


Created by: Alpesh Patel 

Dated: 11 Dec 2020

Mox Creations 


Copying is a legal offence | All right reserved

Harvesting and Legal permission from Government

 कटाई और सरकारी अनुमति 

(Harvesting and Government legal permission)


यहा पर जो पद्धर्ति बताने जा रहा हु वो सभी पेड़ जो की सरकार द्वारा अनुमति के दायरे मे आते है ये उन  सभी पर लागू होता है जैसे की सागौन, सीसम, खैर, पदौक, पाइन, महुडो आदि।

Click here to watch video for complete information about how to get permission gor tree cutting from government.



कटाई के लिये 12 साल के बाद अपने पेड़ो के तने की मोटाई 1.5 फीट से ज्यादा होनी चाहिये तब आप बेच सकते है, कच्ची लकडी बेचने के लिये अनुमति नही मिलती है। अलग अलग राज्य की पेड़ो को काटने और बेचने के लिये नियमोंमे कुछ कुछ बदलाव और छुट दी हुई है जिसको आप निम्नलिखित वेबसाइट पर से जान सकते है।

Click here to know current government policies for felling of teak in different states in India 

भारत के Forest department के नियमो के अनुसार सागौन को काटने के लिये Regional forestry office की अनुमति की जरूरत होती है, जो एक ऐप्लिकेशन के रूप मे आपको Forest Office मे सुचित करना होगा, जिसमे कुछ document देने होते है जैसे की (1) Extract of Chitta and adangal of the land issued by concerned authority, (2) Ownership certificate issued by VAO (Village Administrative Officer), (3)  FMB sketch of the land from where tree were felled, (4) Sale deed copy if the purchaser requires permit, (5) Power of attorney in case any authorized agents needs permit, (6) Fee receipt (scanned copy of Treasury Challan)

आसान भाषा मे आपके जमीन के land records 



इस आवेदन के लिये कुछ फीस भी लगती है, ये आवेदन आप अपने राज्य की Forest department की वेबसाइट से भी कर सकते है, जिसमे उपरोक्त document अपलोड करना होगा।

बाद मे forest officer आपके खेत की visit करेंगे और पेड़ काटने लायक है की नही ये सुनिश्चित करेंगे, और मार्क किये हुये पेड़ो को काटने की अनुमति दी जाती है। ज्यादातर किस्सो मे सागौन के पेड़ो को forest department ही खरीदता है, और 75% किमत आपको 6 महिने मे दे दी जाती है, बाकी की रकम 1 साल के भीतर। सरकार इन लकडी की बिक्री नीलामी के जरिये करती है। ये सभी प्रक्रिया मे समय समय पर बदलाव होते रहते है, कृपया मौजूदा जानकारी के लिये आप अपने Regional Forestry Office का सम्पर्क करे।

आपको यहा दो तरीके की application करनी होती है, (1) Tree cutting permission के लिए और जब permission मिल जाती है उसके बाद लकडी के परिवहन के लिए (2) Transit पास






इसमे जब Forrester जब आपके खेत की वीसिट करने के लिए आता है तब निम्नलिखित Risk factors का ध्यान देता है, ये आपके state के हिसाब से अलग अलग हो सकता है, यहा पर उदाहरण  Gujarat का लिया है।



Click here to download Tree felling procedure in India

ये सभी प्रक्रिया से पहले आपको कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

(1) आपने सागौन का  वृक्षारोपण खेती के उददेश्य से किया है ये दिखाने के लिये आपके 7-12 और 8A की Land Record/ जमीन का "सात- बारह और आठ - अ का उतारा" मे सागौन की खेती उल्लेख होना चाहिये, जिसके लिये आप अपनी ग्राम पंचायत से ये कारवाही कर सकते है। अगर ये कारवाही नही हो पाती तो ग्राम लेवल पर एक पन्चनामा कर ले जिसमे 5 गावँ के प्रतिष्ठित लोगों के हस्ताक्षर होते है जिससे आगे आपको कोई समस्या नही होगी।


(2) सागौन के पौधें की खरीद के बिल संभाल कर रखें ।

(3) Forest Department के नियमों मे बदलाव से समय समय पर जानकार रहे।

Click here to download sample form and formats of application

सागौन के आयुर्वेदिक लाभ (Medicinal benefits)

सागौन के बीज तैल की मालिश करने से खुजली का शमन होता है। सागौन के पत्तों को पीसकर लेप करने से क्षत या व्रण जन्य रक्तस्राव  कम होता है। 5 मिली सागौन पत्तो का रस का सेवन करने से आभ्यन्तर रक्तस्राव, रक्तविकार तथा शोथ ठीक होता है।

बाज़ार (Market)



आशा करता हुँ की आपने सरकारी अनुमिति के नियमो का अध्ययन अपने forest department की office से कर लिया होगा, पौधों की खरीदी और पेड़ो की बिकायी सम्बंधित जानकारी एवं Sellers और Buyers की contact details आप हमारे निम्नलिखित Blog से पता कर सकते है। याद रहे लोगों मे ये गलत फेमि है की सागौन को बेचना मुस्किल है, ऐसा बिल्कूल नही है, सही जानकारी और सही सलाह से ये बहुत आसान हो जाता है।

मेरी दी गई जानकारी मे कोई कमी या सुधार की आवश्यकता हो तो कृपया कमेंट करे, हमे आपके सुझाव आवकार्य है।

Procedure of Teak plantation, Fertilizers, Pest control and organic pesticides, Pruning etc.

 चलिए अब बात कर लेते है सागौन के वृक्षारोपण की।




सागौन का वृक्षारोपण कहा पर करना ज्यादा फायदेमंद रहेगा? ( Site Selection)

अगर आपके पास जमीन ज्यादा है तो आप कुछ जमीन पर ये वृक्षारोपण कर के उस जमीन मे फसलों मे होने वाली महेनत हो दुसरी जमीन की फसलों मे लगा सकते है जिससे आप वृक्षारोपण वाली जमीन की मावजत से निश्चिंत हो जाते है, या कम ध्यान देना पडता है। मगर आपके पास जमीन कम है तो मै अपको खेत के चारों तरफ ही इसको लगाने की सलाह दूंगा, क्योकी यहा आपकी 10 से 12 साल की फसलों से पैदा होने वाली कमाई के उपर असर पडता है। या कोई बंजर या जिस पर आप ज्यादा ध्यान नही दे रहे वैसी जमीन पर ये खेती करे। किसान ये निर्णय बिल्कूल नाप तोल कर ले क्योकि आखिर मे खुद की आर्थिक परिस्थिती को खुद से बहतर कोई नही जानता, मतलब सलाह सभी से ले मगर निर्णय खुद ही ले!!!

सागौन के plantation के बारे मे सम्पुर्ण जानकारी वीडियो के माध्यम से जानने के लिये निचे दिये वीडियो को देखे।

Click here to watch video

तैयारियाँ (Preparation)

जमीन की पसंदगी और आपक़के निर्णय लेने के बाद ये बाते अवश्य ध्यान मे ले।

जमीन गहरी, अच्छे limestone के नितार वाली, लाल मिट्टी, काली मिट्टी, दो रंगी मिट्टी वाली होनी चाहिये, जिसमे बालू/ रेत की मात्रा कम हो । सुखी जमीन या ऐसिडिक जमीन जिसमे pH की मात्रा 6.0 से कम हो वहा ये लगना सही नही है। जमीन की सही pH मात्रा 6.5 से 7.5 है जिसमे पेड़ो का अच्छा विकास होता है।


सागौन के पेड़ो के विकास के लिये जरूरी तत्व (Substance required)

रिसर्च मे ये पाया गया है की सागौन के पौधोंके विकास के लिये Calsium की अधिक से अधिक मात्रा की जरुरत होती है, उसके उपरांत जरूरी तत्व NPK - Nitrogen, Potassium, Phosphorus और Organic matter है।



* पानी की सुविधा के बारे मे अवश्य मंथन करे।

* जमीन मे ज्यादा रेत- बालू तो नही है, या जमीन वैसी तो नही के जिसमे पानी तिकटा ना हो।

* खेत मे कोई High tension electricity line तो नही जा रही है, अगर है तो उसके निचे plantation मत करे, या उतना भाग छोडकर करे।

* असामाजिक तत्वो से कोई नुकसान तो नही होगा ये भी परख ले।


जमीन की तैयारी (Preparation of soil)




* मई महिने मे गड्डे खोद ले और उसे तपने दे। गड्डे का नाप 2 फीट गहरा और 2 फीट चौड़ा रखे।

* गड्डो को गोबर का काला खाद और काली मिट्टी से भर दे और  पहली बारिश का इन्तजार करे।

* DAP फर्टिलाइजर को पौधे लगाने है उसी दिन लगाने से पहले गड्डो मे मिला ले।


Tissue culture पौधो की खरीद (Buying of plants/  Initial investment)



ये बहुत ही जरूरी कदम है, यहा पर आपकी सही पसंद और पहचान ही आपके पैसो को सुरक्षित रखती है, क्योकि आज कल बाज़ार मे बहुत सी कंपनीया और नर्सरी वालो ने Tissue Culture के नाम से लूट मचा रखी है। यहा पर आप ने ढील बरती तो महेनत बेकार भी जा सकती है, या आपको tissue culture के नाम पर देसी सागौन थमा दिया जाता है, इसलिये certified company से ही bill के साथ ही खरीद करे। और replacement की भी शर्त रखे क्योकि पौधे लगाने के बाद जो पौधे मर जाते है उसकी बदली मे आपको उतने पौधे 2 महिने के अन्दर ही आपको देने होते है, ये ज्यादातर कंपनीया ऐसा करती है, मगर जो लोग आम नर्सरी वाले होते है वो replacement की कोई शर्त नही रखते है। 

   पौधो को खरीद ने के बाद उसे 6 से 7 दिन आपके मौसम मे ढलने के लिये रखे, उस दौरान नियमित रूप से पानी देते रहे।


पौधे को कैसे पहचाने की यह Tissue culture ही है?

(How to recognize whether it is Tissue culture plant or not ?)

आज कल बाज़ार मे दो तरीके के पौधे मिलते है, Tissue culture और Root stump से बने पौधे, जिसके विकास मे ज्यादा अन्तर नही है मगर ये जानना जरूरी है क्योकि आप प्रारन्भिक निवेश करने जा रहे है तब आप गलत पौधे की दुगनी किमत चूका तो नही रहे ये जाँच करना बेहद जरूरी है।

ये सवाल बहुत बार पुछा जाता है, इसके लिये तीन बातो का ही ध्यान देना है, (1) आप cerified और विश्वसनीय कंपनी से ही खरीदे ताकी धोकाधडी होने ही सम्भावना ही ना रहे, और जो भविष्य मे भी आपको support दे। (2) पौधे को ध्यान से देखने पर फोटो मे दिखाये अनुसार ये पौधा एक stick के साइड से अंकुरित होकर के तैयार हुआ होता है, जो इसकी सबसे बडी पहचान है, मगर ध्यान रहे ये स्टिक पतली होती है, जो बहुत सारे पौधो को एक गुच्छे से जब अलग किया जाता है तब कुछ इस तरीके का पौधा बनता है, ये अनुभव से पता चलता है, और हाँ, जो पौधा root stump  से तैयार हुआ होता है, उसकी stick मोटी होती है, जो बिल्कूल साफ साफ दिखता है, और पहचानना भी आसान है, (3) पौधे की stick और अंकुरित भाग के पत्ते को दोनो को अलग अलग मसलने से एक जैसा ही लाल रंग निकलता है, वैसे तो सभी सागौन के पत्तो को मसलने से लाल रंग ही निकलता है मगर ध्यान से देखने पर ये अन्तर मालूम पडेगा।

Root stump के द्वारा तैयार किये पौधों का विकास भी अच्छा होता है, और ये Tissue culture पौधों के काफी सस्ते भी मिलते है, ये किसान के उपर निर्भर है की वो कितना पैसा प्राथमिक तौर पर लगा सकता है।

और कोई प्रकार जिससे tissue culture पौधें और सामान्य पौधे को पहचान सकते है अगर किसी को पता है तो कृपया comment करके हमे जरूर बताएं ।

वीडियो लिँक

Click here to watch video 


पौधे लगाने का तरीका (Method of planting)



* पौधे लगाने का सही समय जून- जुलाई का होता है, पहली बारिश मे जमीन की उपरी सतह मे पानी की मात्रा हो जाती है उसके बाद दुसरी बारिश मे पौधो को आराम से पॉलिथीन को काट कर तसल्ली से गड्डो मे रख कर चारो तरफ मिट्टी लगा दे, और पानी दे, लगाने से पहले आप DAP खाद भी गड्डो मे डाल सकते है। दो पौधो की बीच की दूरी 10 फीट से ज्यादा ही रखे क्योकि जितना अन्तर ज्यादा उतना पेड़ो का विकास ज्यादा, क्योकि बहुत से किसानो को plantation के बाद ये समस्या होती है की उनके पेड़ो का विकास सही से नही हो पा रहा होता है, उनका सबसे पहला कारण यही होता है की उन्होने डो पेड़ो की बीच की दूरी बहुत कम रखा होता है, और वो पेड़ पतले रह जाते है, चाहे जितना भी खाद डालो लेकिन पेड़ नजदीक होने के कारण उनका विकास नही हो पाता है।

सिंचाई (Irrigation)



सबसे अच्छा परिणाम पाने के लिये मै आपको Drip irrigation पध्धर्ति का इस्तेमाल करने की सलाह दूंगा, क्योकि ये एक बार शुरूआतमे पैसा खर्च होगा लेकिन हर बार परम्परागत तरीके से पानी लगाने से छुटकारा मिल जायेगा। अगर शुरुआत मे पैसे नही लगना चाहते तो आप परम्परागत तरीका अपनाकर सिंचाई करे, 



अगर आप Drip irrigation से सिंचाई करते है तो पहले साल हर 5 से 6 दिन मे सिंचाई करे और बाद मे 15 से 20 मे सिंचाई करते रहे।



परम्परागत तरीके से सिंचाई करने मे पहले एक साल तो आप पानी की कमी ना होने दे बाद मे आप 15 से 20 दिन मे पानी देते रहे।

गर्मियो मे अगर पानी की की कमी हुई तो दीमक लग सकती है और पौधे सुख सकते है, इसका हमेशा ध्यान रखना चाहिये।


निन्दामण/ फालतु घास (Weed)

पहले दो साल तक plantation मे घास के फैलने पर नियन्त्रण रखना होगा, इसके लिये manual या weedicide का भी आप इस्तेमाल कर सकते है, अगर आप intercropping/ आंत्रफसल करते है तो ये खेत या plantation वाली जगह अपने आप ही साफ होती रहेगी। 3 साल के बाद पौधें बड़े होने से छाया हो जाने से ये फालतु घास नही होगी और ये समस्या अपने आप ही दूर हो जायेगी।


Intermediate cropping/ आंतरिक फसल 



पहले दो साल आप कोई भी फसल आंतरिक फसल के तौर पर कर सकते है, उसके बाद जब पेड़ थोडे बड़े हो जाते है तो उसकी छाया बाकी फसल को असर करती है, मगर यहा पर मै ये नही कहूंगा की आप दो साल के बाद आंतरिक फसल मत ले, बल्कि आप जब तक पेड़ कटने लायक नही होते तब तक आप आन्तरिक फसल ले सकते है, जिसके लिये बस थोडा ये बाते ध्यान रखनी होगी।

* नियमित रूप से छटाई/ pruning करते रहे और जमीन पर सूर्यप्रकाश पड़े ऐसा करे।

* जो भी फसल ले उसको डोली बनकर उसके उपर फसल ले जिससे जो पेड़ो के पत्ते गिरेंगे वो फसल को ढकन्गे नही।

* अगर हो सके तो पत्तो को बाहर निकाल कर compost खाद के लिये इस्तेमाल करे जिससे खेत भी साफ रहेगा।

* आप Ginger, Garlic, Turmeric, Onion, Marigold  जैसी फसलें या सब्जियां  करे जो छाया मे भी अच्छी तरह होती है।



खाद (Furtilizer)



वसे तो सागौन की खेती मे ज्यादा कोई खाद डालने की जरूरत तो नही है, गोबर का काला खाद आप समय समय पर साल मे दो बार पेड़ के चारों तरफ खुदाई करके डाल सकते है, जिससे व्रिध्धी दर बढ़ता है। अगर आप Chemicl fertilizer मे विश्वास रखते है या इस्तेमाल करना चाहते है तो निम्नलिखित सारणी से खाद दे सकते है। ( ज्यादा केमिकल वाले खाद के इस्तेमाल से जमीन खराब होती है।)

Click here to download PDF of schedule of recommended fertiliser for teak Plantation 


छटाई (Pruning)



सागौन की खेती मे छटाई बेहद जरूरी भूमिका रखती है, जिससे हम पेड़ो की लम्बाई और मोटाई को कुछ हद तक नियन्त्रित कर सकते है। छटाई नियमित रूप से करनी चाहिये, जिससे बीनजरूरी ड़ालिया ना रहे और एक सीधा तना मिल पाये, छटाई 20 फीट तक करे, उसके बाद छटाई रोक दे, जिससे पेड़ के उपर वजन होने से थड की मोटाई बढती है, छटाई के लिये इस्तेमाल होने वाले औजार और तरीका नीचे उपर video मे समजाया गया है।

छटाई मे इस्तेमाल करने लायक औजार (Tool for pruning)



किट नियन्त्रण (Pest control) 



मै प्राकृतिक खेती को सबसे अच्छा मनता हुँ इसलिये मै आपको किट नियन्त्रण हेतु ऑर्गेनिक  और बिन ऑर्गेनिक दोनो तरीका बताऊंगा।

पहले ये समझ लेते है की सागौन की खेती मे कौन कौन से किट संबंधी समस्याए आती है और उनके इलाज भी देख लेते है।

(1) नये पत्ते जालीदार बनकर सुख जाते है या पत्तो मे गांठे बन जाती है या पत्ते brown  हो जाते है।

ये रोग Fungal and bacterial pathogens के कारण होता है, जिसमे पौधा सुख भी सकता है।

ये अन्य पौधे मे ना फैले इसलिये संक्रमित पौधे के तुरंत हटा देना चाहिये या Dithane M-45 (0.1%) का स्प्रे करके नियन्त्रण मे ला सकते है।



(2) तना बहुत सख्त और बाकी स्वस्थ सागौन से काला दिखता है, और विकास कम हो जाता है।



(3) चोटी के नये उग रहे छोटे छोटे पत्ते के उपर किट के कारण विकास रुक जाता है।



(4)  Root Rot रोग के करण खड़ा पेड़ सुख जाता है, ये एक से अधिक पेड़ो मे भी एक साथ भी हो सकता है।



यह रोग Rigidoporus lignosus (Klotzsch) Imazeki, sporocarps के करण होता है, जो संक्रमित पौधों के 64% हिस्से में पाया गया है। छिछले जमीन के इलाके जहा जल निकासी  कम होती हो, और लाल मिट्टी में रोग का प्रकोप अधिक होता है। संक्रमित पेड़ों पर 2% Tillex chemical  स्प्रे का उपयोग करके रोग को नियंत्रित किया जा सकता है। जब plantation करते है तब जमीन तैयार करते वक़्त जो लकड़ी के ठूंठे जमीन मे छुट जाते है उसको भी चुन ले,  ये करके यह रोग काफी हद तक कम किया जा सकता है।


ऑर्गेनिक कीटनाशक (Organic pesticide)



ये तरीका धीमा लेकिन काफी असरकारक है, और बिल्कूल मुफ्त मे आप किटको का नियंत्रण कर सकते है।

इस तरीके से बने कीटनाशक से आप Regular pests, Occasional pests, Seasonal pest एवं  Sporadic pests से नियन्त्रण पा सकते है। तथा ये प्रकृति को कोई नुकसान भी नही पहुचाता ।

कीटनाशक बनाने की विधि (Method for making of organic pesticide)

एक बरतन मे नीम के फल के बीज ( अगर बीज ना मिले तो हरे पत्ते), अर्डूसी के हरे पत्ते, सीताफली के हरे पत्ते, सफेदे के पेड़ के पत्ते, धतूरे के पत्ते, तुलसी और डमरे को देसी गाय के गौमूत्र व छाछ  मे 4-5 दिन तक डूबा कर रखे, पूरी तरह उबालकर छान ले, ये अर्क अब उपरोक्त किटको के नियन्त्रण के लिये पूरी तरह तैयार है। ये सभी चीजो का नाप कोई निस्चित नही है, ये आप अपने हिसाब से कर सकते है।

Different between Tissue culture teak and Root stump teak plants and income

 Hybrid और Tissue culture का तफावत (Comparison between Tissue culture and Root stump teak plant)



Hybrid प्रजाति बीज मे संशोधन करके बनायी जाती है, जिससे पेड़ो का तैयार होने का समय और उसके गुण मे सुधार होता है। 

Tissue culture पध्धर्ति मे पेड़ो की जड़ो, उसकी शाखाओ और उसके tissue/ कोष मे संशोधन करके प्रजाति को तैयार किया जाता है, जिसमे तैयार होने का समय और उसके गुणो मे बहुत बदलाव लाया जाता है, कभी कभी किसी दुसरे family की प्रजाति के पौधे के उपर कोई अन्य प्रजाति का पौधा ही लगा दिया जाता है जिसको हम देसी भाषा मे कलम कहते है, ये सारी प्रक्रिया बहुत से प्रयासो मे पुर्ण होती है तब जाकर एक नस्ल मिलती है।

Tissue culture की पद्धति की विस्तृत जानकारी के लिये ये वीडियो देखे।

Click here to watch video


सागौन की खेती से आमदनी (Income)




   एक अच्छा उत्पादन लेने के लिये 12 × 12 feet के अन्तर मे अगर पौधो को लगया जाये तो एक एकड़ मे 450 से 500 पौधे आयेंगे और एक पुख्त पेड़ 15 से 18 cubic feet लकड़ी का उत्पादन देता है, 1 cubic feet लकड़ी का दाम 1,500/- से 3,500/- रुपये होता है ( ये बाज़ार मे मांग के उपर निर्भर है), हम 2,000/- रुपये सरेराश दाम लगाए तो एक पेड़ 30,000/- रुपये का होता है, कुल मिलाकर 30,000 × 450 = 1,35,00,000/- रुपये होता है ( ये अनुमान जब सभी पेड़ बिल्कूल स्वस्थ और काटने लायक होते है तब का है), मगर हाँ, यहा ये बात भी सच है की यहा तक पहुचने मे आपने 10 से 12 साल या उससे अधिक समय आपने अपने खेत मे फसलो से पैदा होने वाली कमाई भी गवाई है।

Benefit of Teak plantation

 सागौन की खेती के फायदे (Benefits of Teak Plantation)



वैसे तो बहुत सारे पेड़ है जो की 10 से 12 साल मे तैयार हो जाते है ( Tissue culture प्रजाति), अगर हमे 10 से 12 साल का समय देना ही है तो क्यो ऐसे पेड़ो के उछेर मे न दे जो अन्य पेड़ो के बनिस्पत ज्यादा कमाई करके दे, क्योकी बात आखिर मे कमाई के उपर आकर ही अटकती है। 

* अन्य पेड़ो के हिसाब से ज्यादा मुनाफा

* जानवर उसे कम नुकसान पहुचाते है।

* फर्नीचर बनाने मे सबसे उँची किस्म की लकडी

* ऑर्गेनिक खाद भरपूर मात्रा मे बनता है।

*  10 से 12 साल मे काटने लायक हो जाता है। ( Tissue culture प्रजाति)

*  काटने के बाद भी दुबारा तैयार होता है वो भी कम सालो मे

*  डालियों की छटाई से सालाना पेड़ो की मावजत का पूरा खर्चा निकल जाता है।

* जमीन मे पत्तो के गिरने से खाद बनता रहता है जिससे जमीन फलदायी बनाती है।

* Intermediate cropping/ आंतरिक फसल भी होती है।



Parts of Teak tree in details

 चलिये सागौन को पहचान लेते है


पौधा (Plant)



सागौन का पौधा एक से दो इन्च चौडे पत्ते से युक्त गहरे हरे रंग होता है, जिसके पत्ते रूखे से होते है।


पेड़ के बड़े पत्ते (Leaves)




पुख्त पौधे या पेड़ के पत्ते 6 से 10 इन्च चौडे होते है, कभी कभी पत्तो मे सूखने से जाली जैसा दिखाई देता है।


तना या थड (Timber)



तना बेहद भरावदार मजबूत और लकडी के सही रंग का होता है, काटने से धारिया दिखती है और यही धरिया इसकी लकडी को बेहद खूबसूरत बनाती है।

फूल (Flower)



सफेद रंग के छोटे छोटे और  गुछ्छे मे इसके फूल होते है जिसमे कोई खास सुगंध नही होती है।

फल (Fruit)



कठोर और मजबूत हल्के सफेद रंग के फल होते है जो एक कवर मे बंद होते है, तकरीबन ये पेड़ के सबसे उपर के भाग यानी की चोटी के उपर ज्यादा होते है।

जड़े (Roots)




जड़े इसकी दो तरह की होती है एक जो मुख्य जड़ जो सीधी और गहरी जाती है और दूसरी जो चारों तरफ फैली होती है, और ये जड़े एक से 3 फीट की गहराई मे ही होती है, जिसका फैलाव पेड़ की मोटाई के मुताबिक होता है।


Types of Teak tree and climate required

 सागौन को भारत मे सागवान, साग या शाक के नाम से जाना जाता है, ये एक बड़े पत्तेवला मजबूत लकडी देने वाला बेहद कीमती पेड़ो मे से एक है, जिसकी अधिकतम लम्बाई भारत मे 50 से 60 फीट देखी गई है। ये भारत मे मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, तेलंगाना, तमिलनाडु, महाराष्ट्र मे अधिकतम पाये जाते है, धीरे धीरे इसकी जानकारी को लेकर लोगो को पता लग रहा है वैसे वैसे इसका विस्तार होता जा रहा है, सागौन की प्रजातियों मे लगातार संशोधन हो रहे है और कम समय मे तैयार होने वाली प्रजातियाँ अभी भारत मे आसानी से उपलब्ध हो रही है, इनमे से Hybrid और Tissue culture संशोधित प्रजातिया प्रचलित है।

भारत मे आम तौर मे पाये जाने वाली सागौन की प्रजातियाँ 

(1) नीलाम्बर या मलबार सागौन

(2) मध्य व दक्षिणी अमेरिकन सागौन

(3) पश्चिमी अफ्रीकन सागौन

(4) गोदावरी सागौन 

(5) कोन्नी सागौन

(6) वलसाडी सागौन

(7) बर्माई सागौन 


जरूरी तापमान व मौसम ( Climate)




सागौन के पेड़ोकी अच्छी वृद्धि के लिये 15⁰से 45⁰ C तक का तापमान अनुकूल है और 1200 से 2500 mm वर्षा क्षेत्रों मे इसका अच्छी तरह विकास होता है। सागौन के वृक्षारोपण का सही समय जुलाई से सितम्बर है।

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